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Thursday, October 6, 2011

जो कुछ भी है तू, बस, तेरी माँ का ही है असर.

हो देवता या हो कोई जन्नत का फ़रिश्ता.

पैदा न कर सकेगा खून-ओ-दूध का रिश्ता .

माँ ! तूने अपने खून से ही दूध बनाकर.

पाला है प्यार से खुद अपना दूध पिलाकर.

तू है कहीं जन्नत में यहाँ मै ज़मीन पर.

फिर भी तू मेरे पास है जैसे मेरे ही घर.

बांहों में यूँ लिपटाके मुझे रात को सोना.

बेशर्त मुहब्बत में हरिक पल ही भिगोना.

हर चीज़ ही पाने को मेरा जिद में वो रोना.

सब कुछ मुझे देने को तेरे चैन का खोना.

हर साँस मेरे दिल को देके जाती है खबर.

जो कुछ भी है तू, बस, तेरी माँ का ही है असर.


BY ज्ञान गुरु  कौशिक 

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