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Saturday, April 19, 2014

मां दुर्गा आराधना मंत्र




रक्षांसि यत्रोग्रविषाश्च नागा यत्रारयो दस्युबलानि यत्र |

दावानलो यत्र तथाब्धिमध्ये तत्र स्थिता त्वं परिपासि विश्वम् ||



विपत्तियों के नाश के लिए मां दुर्गा की वंदना इस मंत्र के द्वारा करना चाहिए :-



देवि प्रपन्नार्तिहरे प्रसीद प्रसीद मातर्जगतोखिलस्य |

प्रसीद विश्वेश्वरि पाहि विश्वं त्वमीश्वरी देवि चराचरस्य ||



अगर दूर करनी हो महामारी तो करें इस मंत्र का प्रयोग :


जयन्ती मंगला काली भद्रकाली कपालिनी |

दुर्गा क्षमा शिवा धात्री स्वाहा स्वधा नमोस्तु ते ||



स्वर्ग और मोक्ष की प्राप्ति के लिए


सर्वभूता यदा देवी स्वर्गमुक्तिप्रदायिनी |

त्वं स्तुता स्तुतये का वा भवन्तु परमोक्तयः ||



भक्ति प्राप्ति के लिए :


नतेभ्यः सर्वदा भक्त्या चण्डिके दुरितापहे |

रूपं देहि जयं देहि यशो देहि द्विषो जहि ||



प्रसन्नता के लिए


प्रणतानां प्रसीद त्वं देवि विश्वार्तिहारिणि |

त्रैलोक्यवासिनामीड्ये लोकानां वरदा भव ||



आरोग्य और सौभाग्य के लिए


देहि सौभाग्यमारोग्यं देहि मे परमं सुखम् |

रूपं देहि जयं देहि यशो देहि द्विषो जहि ||



पापों को मिटाने के लिये


हिनस्ति दैत्यतेजांसि स्वनेनापूर्य या जगत् |

सा घण्टा पातु नो देवि पापेभ्योनः सुतानिव ||



भय का विनाश करने के लिए


यस्याः प्रभावमतुलं भगवाननन्तो ब्रह्मा हरश्च न हि वक्तमलं बलं च |

सा चण्डिकाखिलजगत्परिपालनाय नाशाय चाशुभभयस्य मतिं करोतु ||



सामूहिक कल्याण के लिए


देव्या यया ततमिदं जग्दात्मशक्त्या निश्शेषदेवगणशक्तिसमूहमूर्त्या |

तामम्बिकामखिलदेव महर्षिपूज्यां भक्त्या नताः स्म विदधातु शुभानि सा नः ||






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