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Saturday, April 19, 2014

मां गायत्री की पूजा के दौरान :

                                 



ॐ सुजातो ज्योतिषा सह शर्मवरूथमासदत्स्वः |

वासोग्ने विश्वरूपर्ठ संव्ययस्व विभावसो ||



इस मंत्र के द्वारा मुकुट चढ़ाना चाहिए-


मातस्तवेमं मुकुटं हरिन्मणि-प्रवाल-मुक्तामणिभि-र्विराजितम् |

गारूत्मतैश्चापि मनोहरं कृत गृहाण मातः शिरसो विभूषणम् ||



इस मन्त्र द्वारा धूप दिखलाना चाहिए-


दशांगधूपं तव रंजनार्थं नाशाय मे विघ्नविधायकानाम् |

दत्तं मया सौरभचूर्णयुक्तं गृहाण मातस्तव सन्निधौ च ||



इस मन्त्र द्वारा पुष्पांजलि अर्पित करना चाहिए-


ॐ यज्ञेन यज्ञमयजन्त देवास्तानि धर्माणि प्रथमान्यासन् |

ते ह नाकं महिमानः सचन्त यत्र पूर्वे साध्याः सन्ति देवाः ||



आरती करते समय इस मंत्र का उच्चारण करना चाहिए-


इदर्ठ हविः प्रजननं मे अस्तु दशवीरः सर्व्गणर्ठ स्वस्तये |

आत्मसनि प्रजासनि पशुसनि लोकसन्यभयसनि ||



ॐ याः फ़लिनीर्या अफ़ला अपुष्पायाश्च पुष्पिणीः |

बृहस्पतिप्रसूतास्तानो मुंचन्त्वर्ठ हसः ||



इस मंत्र द्वारा पुष्प अर्पित करना चाहिए-


ॐ ओषधीः प्रतिमोददध्वं पुष्पवतीः प्रसूवरीः |

अश्चा इव सजित्वरीवींरूधः पारियिष्णवः ||



इस मंत्र द्वारा ताम्बूल समर्पण करना चाहिए-


कर्पूर्-जातीफ़ल-जायकेन ह्येला-लवंगेन समन्वितेन |

मया प्रदत्तं मुखवासनार्थं ताम्बूलमंगी कुरू मातरेतत् ||



इस मंत्र द्वारा सिन्दूर समर्पण करना चाहिए-


ॐ अहिरिव भोगैः पर्येति बाहुं ज्यायाहेतिं परिबाधमानाः |

हस्तघ्नो विश्वा वयुनानि विद्वान्पुमान पुमार्ठ सम्परिपातु विश्वतः ||



इस मंत्र द्वारा उनका आवाहन करना चाहिए-


आयाहि वरदे देवि त्र्यक्षरे ब्रह्मवादिनि |

गायत्रि छन्दसां मातर्ब्रह्ययोने नमोस्तु ते ||

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