रक्षांसि यत्रोग्रविषाश्च नागा यत्रारयो दस्युबलानि यत्र |
दावानलो यत्र तथाब्धिमध्ये तत्र स्थिता त्वं परिपासि विश्वम् ||
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Friday, September 30, 2011
माँ दुर्गा के विभिन्न मंत्र
स्त्री धर्म – Duties of a Woman
- Manu says “Let a woman attend to her household duties most cheerfully and with great dexterity, keep her utensils and apparel clean, her home tidy, her furniture free from dust, all eatables pure, clean and free from dirt. Let her never be lavish in expenditure. Let her cooking be done so nicely that the food may act on the system like a good medicine and keep away disease. Let her keep a proper account of income and expenditure and show it to her husband, use her servants properly and see that nothing goes wrong in the house.” (Chapter V-50).
Significance of Navratri (नवरात्री का महत्व )
The word Navaratri means 'nine nights.' During Navaratri, we worship the goddesses Durga, Lakshmi, and Saraswati, in that order for three days each. The most important day is the 10th day, Vijayadashami. The word Vijayadashami means '10th day of victory.' I will tell you the significance of this festival.
माँ दुर्गा १०८ नाम
S. No. | Durga Name | Meaning |
1 | Devi | The Deity |
2 | Durga | The Inaccessible |
3 | Tribhuvaneshwari | Goddess of Sargya, Martya and Patal |
4 | Yashodagarba Sambhoota | Coming out from Yashoda's Womb |
5 | Narayanavarapriya | In liking of Narayana's Boons |
6 | Nandagopakulajata | Daughter of the Nandagopa Race |
7 | Mangalya | Auspicious, Sacred |
8 | Kulavardhini | Progressor of the Race |
9 | Kamsavidravanakari | Who made a threat to Kamsa |
10 | Asurakshayamkari | Who reduced the number Of Demons |
11 | Shilathata Vinikshibda | At the time of birth, slammed by Kamsa |
12 | Akashagamini | Move In the sky |
13 | Vasudevabhagini | Sister Of Vasudeva |
14 | Divamalya Vibhooshita | Ornamented with beautiful garlands |
15 | Divyambaradhara | Beautifully Robed |
16 | Khadgaketaka Dharini | Who hold Sword And Shield |
Thursday, September 29, 2011
माँ दुर्गा वंदना
माँ दुर्गा वंदना
भगवती भगवन की भक्ति करो परवान तुम
अम्बे कर दो अमर जिसपे हो जाओ मेहरबान तुम
काली काल के पंजे से तुम ही बचाना आ कर
गौरी माँ गोदी में बिठाना अपना बालक जानकर
चिंतपूर्णी माँ चिंता मेरी दूर तुम करती रहो
लक्ष्मी लाखो भंडारे मेरे तुम भरती रहो माँ
नैना देवी माँ नैनो की शक्ति को देना तुम बढ़ा माँ
वैष्णो माँ विषय विकारो से भी लेना तुम बचा माँ
मंगला मंगल सदा करना भवन दरबार में माँ
चंडिका माँ चढ़ती रहे मेरी कला इस संसार में
माँ भद्रकाली भद्र जनो से मिलाना तुम सदा
ज्वाला माँ मेरी ईर्ष्या मिटाना ये करना कृपा
चामुंडा माँ चमन पे अपनी दया दृस्टि करो
माता मान इज्जत व् सुख सम्पति से भंडार भरो
जय माता दी
नवरात्रि में देवी माँ के पूजन में विशेष उपाय
*देवी के पूजन में तिथियों के अनुसार भोग*
अपने मन वांछित फल की प्राप्ति के लिए नवरात्रा में विशेष उपाय :
- प्रतिपदा तिथि में भगवती जगदम्बा की गोघृत से पूजा होनी चाहिये! अर्थात षोडशोपचार से पूजन करके नैवेद्य के रूप में उन्हें गाय का घृत अर्पण करना चाहिये एवं फिर ब्राह्मण को दे देना चाहिये! इस से मनुष्य कभी रोगी नहीं होता!
- द्वितीया तिथि को पूजन करके भगवती जगदम्बा को चीनी का भोग लगावे और ब्राह्मण को दे दे!
- तृतीया के दिन भगवती की पूजा में दूध की प्रधानता होनी चाहिये एवं पूजन के उपरान्त वह दूध ब्राह्मण को देना उच्चित है! यह सम्पूर्ण दुखों से मुक्त होने का एक परम साधन है!
- प्रतिपदा तिथि में भगवती जगदम्बा की गोघृत से पूजा होनी चाहिये! अर्थात षोडशोपचार से पूजन करके नैवेद्य के रूप में उन्हें गाय का घृत अर्पण करना चाहिये एवं फिर ब्राह्मण को दे देना चाहिये! इस से मनुष्य कभी रोगी नहीं होता!
- द्वितीया तिथि को पूजन करके भगवती जगदम्बा को चीनी का भोग लगावे और ब्राह्मण को दे दे!
- तृतीया के दिन भगवती की पूजा में दूध की प्रधानता होनी चाहिये एवं पूजन के उपरान्त वह दूध ब्राह्मण को देना उच्चित है! यह सम्पूर्ण दुखों से मुक्त होने का एक परम साधन है!
माँ दुर्गा मंत्र
सर्व मंगल मांगल्ये शिवे सर्वार्थ साधिके । शरन्ये त्रयम्बिके गौरी नारायणी नमोस्तुते ।।
शरणागत दीनार्तपरित्राण परायणे। सर्वस्यातिहरे देवि नारायण नमोस्तुते।
सर्वाबाधा प्रशमनं त्रैलोक्यस्याखिलेश्वरि। एवमेव त्वया कार्यमस्मद्दैरिविनाशनम्।।
सर्वाबाधा विर्निर्मुक्तो धनधान्यसुतान्वित:। मनुष्यो मत्प्रसादेन भविष्यति न संशय:।
मा दुर्गा आपकी सभी मनोकामना पूर्ण करे .
जय माता दी
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कथा आज की नहीं बल्कि पुरानी और इसका उल्लेख पुराणों में है। कथा के अनुसार वैवस्वत मनु के पुत्र थे राजा इल। इल एक बार शिकार खेलने वन में गए। ...
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हे समस्त स्वर की साम्राज्ञी ! हे चिन्मय श्रुति - सिन्धु. . देवि, तुम्हारी , सजल शुभ्रता निर्मित करती इंदु. शुभ्र तुम्हारा वर...