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Thursday, February 28, 2013

हनुमान चालीसा

                                                          


॥दोहा॥

श्रीगुरु चरन सरोज रज निज मनु मुकुरु सुधारि ।
बरनउँ रघुबर बिमल जसु जो दायकु फल चारि ॥

बुद्धिहीन तनु जानिके सुमिरौं पवन-कुमार ।
बल बुधि बिद्या देहु मोहिं हरहु कलेस बिकार ॥

॥चौपाई॥

Saturday, February 16, 2013

सनातन


 जो सनातन नहीं मिटा.... कंस की ललकार से..

 जो सनातन नहीं मिटा... रावण की हुंकार से...

 जो सनातन नहीं मिटा .. गजनवी की तलवार से...

 जो सनातन नहीं मिटा.... मुगलों के अत्याचार से...

 अरे.... वो सनातन क्या मिटेगा ....

 इन कायरों, भ्रष्टाचारियों की सरकार से...!!