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Tuesday, February 8, 2011

माँ शारदा स्तुति


हे समस्त स्वर की साम्राज्ञी !
हे चिन्मय श्रुति - सिन्धु. .
देवि, तुम्हारी , सजल शुभ्रता
निर्मित करती इंदु.

शुभ्र तुम्हारा वर्ण, शुभ्र हैं
वस्त्र , शुभ्र है हास्य.
शुभ्र हंस की शुभ्र काकली,
शुभ्र स्वरों का लास्य .